कोरोना काल में गिलोय जूस के फ़ायदे व नुकसान (Giloy Juice benefits and side effects)

गिलोय का अंग्रेजी नाम टिनोसपोरा है जिसको गुडूची और के नाम से भी जाना जाता है. इस तरह से यह ज्यादातर उष्ण कटिबंधीयक्षेत्रों में पाया जाता है जिनमे यह भारत, म्यांमार और श्रीलंका में भी पाया जाता है. यह एक मेनिस्पेर्मसाए नामक परिवार से तालुक रखता है जो की एक बेल लता वाली होती है, और उनका इस्तेमाल खाने के साथ ही जडी बुटी के लिए भी किया जाता है. इसे पंजाबी में गल्लो, पाली में गलोची, बंगाली में गुलंचा, मराठी में गुडूची, नेपाल में गुर्जो के नाम से जाना जाता है.  

गिलोय का प्रकार (Types of Giloy)

यह एक प्रकार का लता युक्त पौधा होता है जिसकी लतिका 15 सेंटी मीटर तक फैली हुई है. यह देखने में छोटे से पान के पत्ते की तरह होता है साथ ही यह दिल के आकार की तरह भी दिखता है. यह ज्यादातर जंगलो या पहाड़ों की कठोर मिट्टी पर उपजा हुआ पाया जाता है इसमें छोटे छोटे बीज गुच्छों में लगे होते है. जो शुरुआत में हरे होते है और पक जाने पर लाल हो जाते है. गिलोय की खासियत यह है कि यह जिस तरह के भी पेड़ों पर फैलता है, उस पेड़ के जो भी अच्छे औषधीय गुण होते है वो इसके पौधों में समाहित हो जाते है. इस तरह से अगर यह नीम के पेड़ो पर फैला हुआ हो तो यह और भी लाभकारी होता है.


गिलोय का इतिहास (Giloy history)

सदियों से इस पौधे का प्रयोग होते आ रहा है. गिलोय एक भारत का औषधी युक्त पौधा है, जिसका उपयोग आयुर्वेद में कई बिमारियों के उपचार में उपयोग होता है. पुराने हिन्दू चिकित्सक ने इसे गोनोरिया के लिए, भारत में यूरोपीयन इसे टॉनिक और मूत्र वर्द्धक के रूप में इस्तेमाल करते थे. भारत के फार्माकोपिया में इसे आधिकारिक रूप से मान्यता मिली हुई है, जिससे दवा का निर्माण कर विभिन्न रोगों में जैसे की सामान्य कमजोरी, बुखार, अपच, पेचिश, गोनोरिया, मूत्र रोग, हेपेटाइटिस, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज इत्यादि के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके लतिका के जड़ का उपयोग भी आंत की बीमारी में किया जाता है. आयुर्वेद में इसके अनेक नाम है, जैसे की चक्रांगी और अमृता. यह एक ऐसी बूटी है कि यह आयुर्वेदिक दवाओं का एक महत्वपूर्ण घटक इसके बिना आयुर्वेद में अभ्यास संभव नहीं हो सकता है.


वनस्पति के रूप में गिलोय का वर्गीकरण (Giloy vegetation)  

गिलोय का वनस्पतिक नाम तिनोस्पोरा कोर्दिफोलिया है. इसका सेवन इतना कारगर है कि यह कैंसर को रोकने की क्षमता भी रखता है. साथ ही कुष्ठ रोग, पीलिया, स्वाइन फ्लू से भी बचाता है.                      

गिलोय को खाने के फ़ायदे (Giloy benefits)

गिलोय के बारे में दिल्ली के पोषण विशेषज्ञ अंशुल जैभारत कहते है कि संस्कृत में गिलोय को अमृत के रूप में जाना जाता है, जिसका उसके औषधीय गुण की वजह से अनुवाद किया गया है अमृता की जड़. अर्थात इसकी जड़ भी उपयोग किया जाता है, आयुर्वेद में इसके रस, पाउडर और कैप्सूल भी बना कर उपयोग किये जाते है. इसके और जड़ के इस्तेमाल के फ़ायदे निम्न है-

  • गिलोय हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है. यह एंटी ओक्सिडेंट का मुख्य स्रोत है. साथ ही यह हमारे शरीर की मुख्य कोशिकाओं को स्वास्थ्य रखने और उन्हें रोगों से छुटकारा दिलाने में भी सहायक है. गिलोय हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थो को भी बाहर निकालने में सहायक है यह खून का शुद्धिकरण करता है. हमारे शरीर में मौजूद जीवाणुओं जो की अधिकांशतः रोगों के कारण है, जिनसे यह लड़कर यकृत के रोग और मूत्र मार्ग में उत्पन हुए अवरोधों को ठीक करने में सहायता करता है. गिलोय का उपयोग दिल की बीमारी के साथ ही बांझपन के उपचार में भी उपयोगी समझा जाता है.
  • डॉ. आशुतोष गौतम जो की आयुर्वेद के वैध है, उनका कहना है कि गिलोय बुखार से भी राहत दिलाने में कारगर है. चुकि गिलोय की प्रकृति में ही एंटी प्यरेटिक के गुण पाए जाते है, जिस वजह से यह डेगूं, स्वाईन फ्लू और मलेरिया जैसी खतरनाक बिमारियों के लक्षणों को कम करने में भी सहायक है. यह रक्त प्लेटों की संख्या को बढाता है. अगर गिलोय का एक छोटा सा टुकड़ा शहद के साथ लिया जाये तो यह मलेरिया के रोग में सहायता करता है.
  • वैध आशुतोष जैभारत के अनुसार गिलोय पाचन शक्ति को दुरुस्त रखने का काम करता है. यह आंत सम्बन्धी रोगों का इलाज करने में बहुत फायेदेमंद है. कब्ज की बीमारी को रोकने के लिए इसका गुड और आवले के साथ अगर नियमित रूप से सेवन किया जाए तो यह पाचन के लिए सहायता करता है. अपच की स्थिति में गिलोय को आधे ग्राम पोएदर के साथ कुछ आवला को मिलाकर इसको खाने से अच्छा परिणाम मिलेगा, साथ ही गिलोय के रस को दही के छाछ के साथ मिलाकर भी पीने से फायदा होगा.  
  • यह मधुमेह के रोग को दूर रखने में भी सहायता करता है. फोर्टिस अस्पताल के डॉ. मनोज आहूजा का मानना है कि उनके अनुसार गिलोय हाईपोग्लोकेमिक एजेंट के रूप में काम करता है और जो भी व्यक्ति मधुमेह टाइप 2 से पीड़ित है, अगर वो इसका रस पिए तो यह इलाज में सहायक होता है. गिलोय खून में मौजूद मधुमेह के स्तर को कम करने में मदद करता है.
  • गिलोय मानसिक तनाव और चिंता को भी कम करने में सहायक है. शरीर में मौजूद अवशिष्ट पदार्थ को निकाल कर यह मन को शांति प्रदान करता है और यदाशत को बढ़ाने में भी कारगर है.
  • गिलोय साँस लेने में तकलीफों की बीमारी को भी कम करने में सहायता करता है. इसका उपयोग अक्सर कफ़, सर्दी और टोंसिल जैसी बिमारियों के इलाज के लिए किया जाता है.
  • इसमें एंटी फ्लेमिनेतरी और एंटी गठिया सम्बन्धी गुण होते है, इसलिए यह गठिया रोग में सहायक है. अगर गिलोय के पाउडर को गर्म दूध और अदरक के साथ खाया जाए तो डॉ. आशुतोष के अनुसार यह गठिया रोग में लाभकारी होगा.
  • फोर्टिस अस्पताल के डॉ. मनोज के. आहूजा का कहना है कि सीने में जकडन, साँस की तकलीफ, घरघराहट, खांसी से अगर कोई व्यक्ति परेशान है तो यह दमा और अस्थमा के लक्षण है. इस तरह के अगर लक्षण दिखे तो व्यक्ति को गिलोय की जड़ को चबाना शुरू कर देना चाहिए तो इन तकलीफों से कुछ राहत मिल सकती है.
  • गिलोय आँखों से देखने की क्षमता को भी ठीक रखने में सहायता करता है. इसके लिए गिलोय के पाउडर को पानी में उबाल कर उसको ठंडा करके फिर इस पानी से पलकों को धोना होता है इस प्रक्रिया से आँखों की रोशनी बढ़ाई जा सकती है.
  • गिलोय शरीर की अनेक बीमारियों को दूर करता है इसलिए स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. यह शरीर में उत्पन्न हुए एलर्जी को खत्म करता है यह सोरायसिस जैसी खतरनाक त्वचा सम्बन्धी बीमारी से भी बचाता है.                 

गिलोय त्वचा के लिए लाभदायक (Giloy benefits for skin)

गिलोय त्वचा के लिए बहुत ही लाभदायक है, इसके बीज को अगर पीस करके इसका लेप चेहरे पर लगाये तो इसको लगाने से कील मुहासों की समस्या नहीं होगी. गिलोय में एंटी एजिंग के गुण समाहित होते है जोकि बढ़ते हुए उम्र के असर को जैसे कि त्वचा पर झुरियों का पड़ जाना, डार्क स्पॉट्स, उम्र के साथ त्वचा पर रेखाए पड़ जाती है, उसको रोकने में मददगार होता है. यह इस तरह के परेशानियों को कम करके त्वचा को सुंदर चमकीला और दाग धब्बो रहित बनाता है.

गिलोय को कैसे खाये (How to eat Giloy)

गिलोय को अलग अलग चीजों के साथ खाया जा सकता है, और साथ ही बिमारियों से भी बचा जा सकता है, जैसे की गिलोय को संधिशोध अर्थात आर्थराइटिस को ठीक करने में अदरक के साथ खाया जाता है. गठिया को ठीक करने में अरंडी के तेल के साथ लगाया जाता है और घी के साथ खाया जाता है. त्वचा और जिगर को ठीक रखने के लिए चीनी के साथ इसको खाया जाता है, साथ ही कब्ज को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल गुड के साथ खाकर किया जाता है.

गिलोय को अगर चाय के रूप में सेवन करे तो भी यह बहुत फायदेमंद है. इसकी चाय बनाना बहुत आसान भी है और यह ज्यादा कडवी भी नहीं लगती है. वास्तव में उसको पीने से आनंद की अनुभूति होती है. इसके चाय को निम्न तरीके से बना सकते है-

एक कप चाय बनाने के लिए गुडूची अर्थात गिलोय के ताजे पत्ते को साफ़ धोकर 5 से 6 पते एक कप पानी में उबलने के लिए चढ़ा दे. उसके बाद 5 काली मिर्च, आधा चम्मच जीरा और पाम कैंडी के साथ ही आप इसमें चाहे तो शक्कर या शहद के साथ भी मिला कर पी सकते है. यह चाय मानसिक तनाव को कम करती है, यह यादाश्त को भी बढाती है, यह एक बहुत ही आसन सी घरेलू औषधी है.        

गिलोय के जूस के फ़ायदे (Giloy juice benefits)

गिलोय के जूस को अगर सुबह खाली पेट लिया जाए तो यह बहुत ही फायदा कारक होता है. स्वाद भले ही थोडा तीखा हो लेकिन यह त्वचा पर पिम्पल्स या उससे जुडी समस्या एक्जिमा, सोरायसिस को जड़ से खत्म कर देता है, क्योंकि प्राकृतिक रूप से इसमें खून को साफ़ करने की क्षमता होती है. गिलोय का जूस पित, कफ़, वात जैसी समस्या से निजात दिलाता है. गिलोय का जूस किसी भी तरह की वायरल बीमारियों से बचाव करता है. गिलोय के तने में स्टार्च की मात्रा होती है, इसलिए इसका जूस भी बहुत फ़ायदे मंद होता है. गिलोय का जूस मन को शांत रखता है.   

गिलोय का जूस बनाने की विधि (How to make Giloy juice)

गिलोय का जूस बाजार में डब्बाबंद भी मिल सकता है, और इसे हम घर में भी बना सकते है. बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि में भी निर्मित गिलोय का जूस बाजार में उपलब्ध है. गिलोय की लता लगभग 1 फीट तक ले, उसके उपर की परत को हटाकर उसके लता को अच्छे से पीस ले, फिर इसको 6 ग्लास पानी, लौंग डाल कर अच्छे से खौला लें. जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान कर आप इसका सेवन कर सकते है. यह जूस जोड़े के दर्द में आराम देता है.

गिलोय को खाने के दुष्प्रभाव (Giloy side effects)

गिलोय के इस्तेमाल से किसी भी तरह का कोई भी गंभीर दुस्प्रभाव नहीं है. गिलोय का इस्तेमाल चुकि हर्बल युक्त और प्राकृतिक तथा सुरक्षित है. लेकिन फिर भी अगर किसी भी चीज की मात्रा को जरुरत से ज्यादा लेने पर उसका असर बहुत अच्छा नहीं होता है. गिलोय खून में मौजूद शर्करा के निचले स्तर को कम कर देता है इसलिए जो व्यक्ति मधुमेह अर्थात शुगर की बीमारी से ग्रसित है, उन्हें इसका कम इस्तेमाल करना चाहिए और ज्यादा लम्बे समय तक इसका उपयोग नहीं करना चाहिए. इसके अलावा जो महिला गर्भवती है, उन्हें भी इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए. साथ ही जो महिला अगर बच्चे को स्तनपान करा रही है उन्हें भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 

गिलोय उन बच्चो के लिए सुरक्षित है, जो बच्चे पांच साल या उससे ज्यादा उम्र के है, लेकिन बड़े बच्चों को भी एक बार ही इसकी खुराक देनी चाहिए वो भी सिर्फ़ एक सप्ताह तक इससे ज्यादा नहीं देनी चाहिए. इसके ज्यादा सेवन से पेट में जलन की समस्या हो सकती है इसको या इससे बने उत्पाद दवा या कैप्सूल जो भी आप सेवन कर रहे हो, या कभी भी इसका इस्तेमाल अगर आप गोली के रूप में कर रहे है तो डॉ. की देख रेख में ही करे.   

FAQ

गिलोय को रामवाण दबा क्यों कहते है?

गिलोय में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है, इससे कई बड़ी सारी बीमारी ठीक हो जाती है. बुखार, पीलिया, कैंसर, डायरिया जैसी बड़ी बीमारी भी गिलोय के द्वारा ठीक हो सकती है, इसलिए इसे रामवाण दबा कहते है?

गिलोय कहाँ मिलता है, कहाँ से इसे खरीद सकते है?
गिलोय का जूस एवं वटी बाबा रामदेव की पतंजलि संस्था बनाती है. आप इसे अपने करीब के किसी भी पतंजलि स्टोर से खरीद सके है. इसके अलावा अगर आपको घर पर इसका प्लांट लगाना है तो आप इसे ऑनलाइन अमेज़न से आर्डर करके मंगा सकते है. गिलोय के पौधे की पत्तियों से आप ताजा जूस निकाल सकते है.  
गिलोय के क्या नुकसान है?

गिलोय तो वैसे नुकसानदायक नहीं है, लेकिन फिर भी डायबटीज वालों को इसे कम मात्रा में लेने की सलाह दी जाती है, साथ ही उन्हें लम्बे समय तक इसे नहीं लेना चाहिए.

गिलोय का काढ़ा कैसे बनाये?

गिलोय के तने एवं पत्ती को सुखाकर उसका पाउडर बना लें. अब काढ़ा बनाने के लिए एक चम्मच चूर्ण को 1 गिलास गरम पानी में डालकर उबालें. काढ़ा तैयार है.

बच्चों को खाना चाहिए या नहीं?

5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए.

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