मानव शरीर में मौजूद 72 हजार नाडिय़ों में से प्रमुख 12 नाडिय़ां दिमाग में होती हैं। आध्यात्मिक रूप से तीन नाडिय़ां (ईडा, पिंगला व सुषुम्ना) हैं। इसी क्रम से छह चक्र (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्धि और आज्ञा) जागृत होते हैं। शरीर में सबसे नीचे स्थित मूलाधार चक्र योग से सर्वप्रथम जागृत होता है।
योग की प्रमुख आठ क्रियाओं को क्रमानुसार करना चाहिए। इससे शरीर व मस्तिष्क दोनों को फायदा मिलता है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।
1. यम - इससे योग की शुरुआत करते समय धार्मिक, सामाजिक आदि वर्गों में सोच को सकारात्मक बनाएं।
2. नियम - शारीरिक, मानसिक व मौखिक रूप से व्यवहार शुद्ध करते हैं।
3. आसन - इसके तहत किसी भी आसन (सुखासन, अद्र्ध पद्मासन, सिद्धासन, वज्रासन व पद्मासन) में बैठकर योग की शुरुआत करते हैं।
4. प्राणायाम - इसमें श्वास-प्रश्वास प्रक्रिया के दौरान सांस को नियंत्रित कर मन पर काबू पाते हैं।
5. प्रत्याहार - इसमें पंच ज्ञानेन्द्रियों (आंख, कान, नाक, जीभ व त्वचा) के साथ मस्तिष्क को भी नियंत्रित कर योग से शरीर के अंदर व बाहर हो रहे बदलाव को संतुलित करते हैं।
6. धारणा - इसमें व्यक्ति को अधिक प्रयास करना होता है। पंच ज्ञानेन्द्रियों को एकाग्र कर उसी जगह बांधकर रखते हैं ताकि ये बाहरी तथ्यों की तरफ भागे नहीं। मन केंद्रित होता है।
7. ध्यान : इसमें आंख बंद कर किसी बिंदु के बारे में सकारात्मक सोचते हैं जिससे दिमाग को शांति प्राप्त होती है।
8. समाधि : योग की इस अंतिम क्रिया तक कम लोग ही पहुचते हैं। इसमें व्यक्ति शून्य की स्थिति में चला जाता है और गहनता में जाने का अर्थ ही मन-मस्तिष्क को काबू करना है।
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